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Channel: गुलमोहर का फूल
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निर्माण

  मैं कह देता हूँ अपनी बात । जब भी मन करता है कह देता हूँ ।   मैं नहीं जानता कि तुम तक पहुँच भी पाती है मेरी आवाज या नहीं  । फिर भी चुप नहीं रह पाता मैं । ... [[ This is a content summary only. Visit...

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यादों का पहाड़

  पहाड़ से नीचे उतरते हुऐ दूर तक दिखते छोटे-छोटे घर जहाँ कैद है अभी भी कुछ भूली-बिसरी यादें । दूर तक फैला हुआ कुहासे में लिपटा गुमशुदा शहर जहाँ से बच निकला था मैं कभी । ... [[ This is a content summary...

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किनारा

किनारे को लांघकर लकीर पर चढ़ता गया मैं । लकीर बढ़ती हीं गयी और रह गया मैं किनारे पर हीं । आखिर यह किनारा खत्म क्यों नहीं होता ? [[ This is a content summary only. Visit my website for full links, other...

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कुछ बाते इधर उधर की और “वह आदमी”

इस बार बहुत दिनों तक ब्लाग जगत से दूर रहा । पिछली पोस्ट डाले हुए करीब दो महिने हो चुके है । कारण ? कुछ तो इंटरनेट की समस्या, बीच में गांव भी गया था, और कुछ ब्लागजगत से दूर रहने की इच्छा । अगले महिने......

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देखा मैंने

देखा उड़ते धूल को कि झूमते बबूल को छांव में जो पल रहे तृण, कर रहे अठकेलियां वह भी जले वह भी मिटे बच न सके ताप से । देखा जलते हुए तन को और घर्षण करते मन को बूँद-बूँद टपकते, ... [[ This is a content...

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कुछ और सँवर गये होते

  दीदी “समता” की एक रचना-     बीते दिनों को याद करते है हम, वक्त कुछ कम न था, ओह !!!  कुछ और सँवर गये होते । हँसी जो ठहाको में बदल जाती थी, मगर थी सूखी और... [[ This is a content summary only. Visit my...

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पतझड़

इतने वर्षों के बाद, मिली तुम आज, इस तरह, सोचा, खेलूँगा तुम्हारे संग होली, लगा दूंगा, थोड़ा सा गुलाल, तुम्हारे गालों पर, कुछ रंग जा बसेंगे, तुम्हारी माँग में । ढ़ूंढ़ा अपनी पोटली में, पर... [[ This is a...

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एक स्तब्ध पेड़

दीदी “समता” की एक रचना-   पतझड़ सी भंगिमा लिये एक स्तब्ध पेड़ । उसकी निस्तब्धता विच्छिन्न क्यों ? शायद देखता है, अपने साथियों को, सावन आने की खुशी में, खिलते हुऐ , हरियाली... [[ This is a content summary...

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जाल (Trapped)

कॉलेज के कुछ दोस्तों ने मिलकर ५ मिनट की एक छोटी सी फ़िल्म “TRAPPED” बनाई थी । यह उनका पहला प्रयास था ।  बिना संवाद वाले इस फ़िल्म में दिखाया गया है कि किस तरह एक छात्र गलत संगत में पड़कर, अपना जीवन... [[...

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क्योंकि मैं घबड़ा जाती हूँ तेरी नाराजगी से

दीदी समता की एक रचना- बगैर आँसू के जो गुलशन हरा न हो, भला क्या वास्ता हो उस हरियाली से । वो आईना धुँधला ही पर जाये तो बेहतर हो जो खौफ़ का समां बना दे अपनी सफ़ेदगी से । बहुत चाहा, बहुत समझा अपना... [[...

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सुबह तक

मुझे पसंद नहीं सूरज का डूबना । न जाने कौन सी एक आग अन्दर हीं अन्दर जलती रहती है । कण- कण पिघलता जाता हूँ सुबह तक कहाँ बच पाता हूँ ।  [[ This is a content summary only. Visit my website for full links,...

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कॉलेज के दिन…….याद आएँगे……

आज कॉलेज का अंतिम दिन था । कुछ दिनों में फाईनल परिक्षायें होंगी, उसके बाद हम सभी छात्र अपना बोरिया- बिस्तर बाँध यहाँ से निकल पड़ेगे । चार साल किस तरह बीत गये, कुछ पता हीं नहीं चला । मन दुःखी इसलिये...

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अगले जनम मोहे कौआ न कीजो

रोज शाम को यूनिवर्सिटी ग्राऊंड में दौड़ने के लिये जाता हूँ । मैदान के चारो तरफ ऊँचे-ऊँचे पेड़ लगे हुए है । आज कैम्पस में यूथ फ़ेस्टिवल का अंतिम दिन था तो कुछ छात्र पटाखे इत्यादि फ़ोड़ रहे थे । इन पटाखों......

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क्यों…?

खाली रह जाता हूँ मैं, बार-बार । जितना भी तुम भरती हो, मैं खाली होता जाता हूँ । तरल होता जाता हूँ, पल-पल, हमेशा, मैं ठोस होने की कोशिश में । [[ This is a content summary only. Visit my website for full...

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मेरे अतीत का आँगन

आह !!! कैसा है यह दुःसाहस, देखता हूँ मुड़कर मैं, अपने अतीत के उस खण्डहर को, अपने आँगन में, सर झुकाए मैं खड़ा था । टूट रहा था विश्वास, खत्म हो रहे थे सारे सम्बन्ध, मेरे मन के उस आँगन... [[ This is a...

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अंत में

मैनें देखा नहीं है, उगते हुए सूरज को वर्षों से । छिपकर बैठा है, प्राचीन शैतान !!! कोशिश करता हूं जब भी… कि अपनी आंखे खोलूं, नींद में डूब जाता हूं मैं ।   देखता हूं जब भी, ... [[ This is a content...

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सौ रुपये

“साहब सौ रुपये चाहिये !!!” अपने झोले से खाली बोतल निकालकर मेरे सामने कर दिया उसने | “साहब घर में तेल खत्म हो गया है, खाना नहीं बना अभी तक” | रात के करीब नौ बज रहे थे | “अरे अभी कल ही तो सौ रुपये... [[...

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मैं भाग रहा था ।

साँझ हुई थी सब चुप थे । कहीं बूँद गिरी थी बादल पिघले थे । चुप चाप खड़ा सहमा सा था । न जाने कब से खुद से ही मैं भाग रहा था ।  [[ This is a content summary only. Visit my website for full links, other...

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समय की स्याही

वह धोता है अपनी तलवार रक्त की ऊष्मा से । वह चुनता है सत्य को ताकि समय की स्याही उसे याद रख सके  । किन्तु बच नहीं पाता वह भी समय द्वारा खण्डहर होने से  । [[ This is a content summary only. Visit my...

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दूरी आदमी - आदमी के बीच की

आदमी को देखो चाँद पर चला गया है वह । और कहता है उससे भी आगे जाने की फिराक में है वह । उसके दूत निकल चुके  है अंतरिक्ष की अनंत सैर  को पृथ्वी और सूर्य की संधी से बाहर असीम... [[ This is a content...

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गजेन्द्र

गजेन्द्र गए तुम ऊपर वाल पर चढ़ गया एक और स्टेटस - इंक़लाब ज़िंदाबाद ।  ************ गजेन्द्र बढ़ो आगे अब तुम ठेल - ठाल चढ़ जाओ सूली  - जय जवान जय किसान । ************ प्राण दिए व्यर्थ... [[ This is a...

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इश्क की ख़ुशबू

तेरे इश्क की ख़ुशबू मेरे साँसों में बसती है कि अपनी रूह से पूछो मिटा कर खाख कर डाला खुद को इश्क में तेरे । [[ This is a content summary only. Visit my website for full links, other content, and more! ]]

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विवश आदमी

झुकाता है शीश ।  खूंटे को ही समझता  है अपना ईष्ट  । आँखो पर पट्टियाँ बांधे लगातार बार -  बार कोल्हू के बैल की तरह लगाता  चक्कर  । सभ्यता के खूंटे में बंधा विवश... [[ This is a content summary only....

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अपना इतिहास

  शब्द मेरे हो या तेरे  कहानी एक ही लिखी जाएगी ।  साफ़ सफ़ेद पन्नों पर  आर- पार दिखेगा  अपना इतिहास । [[ This is a content summary only. Visit my website for full links, other content, and more! ]]

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कांतीभाई

लड़के ने अपनी नयी नयी मूछें कुतरवाई । साथ की कुर्सी पर बैठे मित्र ने अठखेेली की - "गुरू पूरा ही सफाचट करवा लो न " । हज्जाम ने आँखे सिकोरकर दोनों  को बारी - बारी से देखा । "मरवाओगे क्या " लड़के... [[ This...

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